सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
शिव को भस्म क्यों चढ़ाई जाती है, जानिए यहां भस्म आरती के राज
shrishivchalisa.com participates inside the Amazon Associates Associates Method, an affiliate promoting method built to offer a suggests for web-sites to earn commissions by linking to Amazon.
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा। होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
पूजन रामचंद्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥
किया उपद्रव तारक भारी। देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी॥
कहे read more अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा। तब ही दुख प्रभु आप निवारा॥
भक्ति-भारत वॉट्स्ऐप चैनल फॉलो करें »इस चालीसा को भविष्य के लिए सुरक्षित / बुकमार्क करें
बुरी आत्माओं से मुक्ति के लिए, शनि के प्रकोप से बचने हेतु हनुमान चालीसा का पाठ करें
अपना मुंह पूर्व दिशा में रखें और कुशा के आसन पर बैठ जाएं।
अर्थ- हे भगवन, देवताओं ने जब भी आपको पुकारा है, तुरंत आपने उनके दुखों का निवारण किया। तारक जैसे राक्षस के उत्पात से परेशान देवताओं ने जब आपकी शरण ली, आपकी गुहार लगाई।